Saturday 16 May 2015

थोरियम घोटाला और कोंग्रेस


थोरियम घोटाला : लो कुछ शून्य और लग गये...
क्या दुनिया की ऊर्जा संबंधी समस्याओं का सबसे बेहतर हलन्यूक्लियर एनर्जी में ही है ? इस सवाल के जवाब में मैं यहकहता हूं कि हां यह संभव है , बशर्ते ईंधन बदल लिया जाए।मेरे हिसाब से यह ईंधन थोरियम हो सकता है जिसे मैं सुपरफ्यूल कहता हूं। थोरियम कई जगहों पर भारी मात्रा मेंउपलब्ध है और इससे एटमी हथियार बनाना आसान नहीं है।लेकिन यह बिजली बनाने वाले एटमी रिएक्टरों में इस्तेमालहो रहे यूरेनियम की जगह अवश्य ले सकता है। और ऐसा होभी क्यों न , आखिर भारत और चीन जैसे मुल्क भी अबथोरियम आधारित रिएक्टरों की तरफ उम्मीद भरी निगाहों सेदेख रहे हैं। थोरियम संचालित रिएक्टरों की बात नई नहीं है। पर इनसे चलने वाले रिएक्टर बनाने में दुनिया नेदिलचस्पी नहीं ली। अब लोगों को , खास तौर से साइंटिस्टों को सोचना चाहिए कि इस वक्त दुनिया को एक ऐसीअफोर्डेबल और सेफ एनर्जी विकल्प की जरूरत है जो यूरेनियम जैसा विध्वंस न हो। इस मामले में थोरियम काकोई जोड़ नहीं है।

रिचर्ड मार्टिन , किताब - सुपर फ्यूल के लेखक
अब समझ आएगा की क्यों सायना मायनो ने राम सेतु तुडवाने के लिए सर पैर एक किये हुए थे,,
क्यों चीफ कंट्रोलर आफ माईन्स का पद को खाली रखा गया ...ये है ..
कांग्रेस का नया ''थोरियम घोटाला'', कीमत आप सोच भी नही सकते ४४ लाख करोड  ....४८ लाख करोड या ५०लाख करोड या और भी ज्यादा ...

भूल जाइये CWG  70 हज़ार करोड
भूल जाइये 2g  176 हज़ार  करोड भूल जाइये कोयला घोटाला 18 लाख  करोड
आ गये है ,,घोटालों के चाचा जान ये है थोरियम महान ... ४८ लाख करोड

भारत में दुनिया का लगभग ४४% थोरियम भंडार है ..

समुद्री किनारों से लगभग 44 लाख करोड़ का थोरियम गायब है जिसे काँग्रेसी सरकार ने चोरी करवा के अमेरिका को बेच दिया ये घोटाला राम सेतु से जुड़ा हुआ है जिसका खुलासा शहीद राजीव दीक्षित जी ने किया था अमेरिका और अमेरिकी ऐजेन्ट मनमोहन रामसेतु इसलिये तुड़वाना चाहते हैँ क्योँकि इसके नीचे और आस पास अरबोँ खरबोँ का थोरियम जमा है और ये घोटाला तो सिर्फ बानगी है भारत के पास आज भी अपार खनिज सम्पदा है लेकिन ये नेता लोग छोड़ेँ जब तो. भईया हम तो खूबई कमात है सोनिया डायन खाये जात है.

नियमों का उल्लंघन कर भारत के समुद्र तटो से 2.1 मिलियन टन समुद्री रेत गायब जिसमे था लगभग 195,300 टन थोरियम ...!

क्या है थोरियम घोटाला :
आरटीआई कार्यकर्ताओं औ देश के १३७ साल पुराने समाचारपत्र स्टेट्समैन ने ४८ लाख करो ड़ के थोरियम खनन घोटाले के बारे में बताया है। लेकिन देश को हुए पूरे नुकसान के बारे में‌ सटीक अनुमान तो कैग जैसी संस्था ही बता सकती है। हमारे देश में मोनाज़ाएट रेत से परमाणु ऊर्जा में आवश्यक तत्व थोरियम को निकालने का काम केवल सरकारी इंडियन रेअर अर्थ लिमिटेड (आईआरईएल) संस्था द्वारा उड़ीसा के छतरपुर, तमिलनाडुअ के मनावलाकुरिची, चवारा और अलुवा और आईआरईएल के औअने कोवलम (केरल) के अनुसण्धान केंद्र में ही किया जाता है। अगर कैग आईआरईएल, औअर देश के परमाणु ऊजा विभाग का औडिट करे तो देश को हुए पूरे नुकसान के बारे में‌ सटीक अनुमान लगाया जा सकता है। स्टेट्समैन अखबार के मुताबिक तो घोटाला ४८ लाख करोड का है जो अब तक के हुए सभी घोटालों की रकम से बीसीयों गुना ज्यादा है। घोटाले की जड़ में है सरकार का खनन मंत्रालय। देश में खनन का लाइसेंस नागपुर स्थित मुख्य खनन नियंत्रक द्वारा दिये जाते हैं । ३० जून २००८ तक इस पद पर एक ईमानदार अधिकारी श्री सी पी एम्ब्रोस थे । उनके रिटायर होने के बाद अब तक इस पद पर किसी की भी नियुक्ति अभी तक नहीं की गयी है। सेंट्रल ज़ोन के खनन नियंत्रक रंजन सहाय कार्यकारी तौर पर मुख्य खनन नियंत्रक का काम देख रहे है। सहाय के ऊपर नेताओं का वरद हस्त है। उसके खिलाफ़ कई शिकायते सीवीसी के पास पड़ी हैं। खन माफ़िया से मिल कर २००८ के बाद थोरियम जैसे राष्ट्रीय महत्व के खनिज का उत्पादन निजी क्षेत्र को सौंप दिया गया। इस रेत का निर्यात किया जाने लगा जिसे देश से बाहर भेजा जाना ही अपराध है। इस तरह चोरी किये गये खनिज का बाज़ार मूल्य ४८ लाख करोड बैठता है।


आपको ये जानकार आश्चर्य होगा की अपने देश के प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह अमेरिकन एजेंट है, उनके बयानों से तो ये ही लगता हें ।  मनमोहन ने करुणानिधि और T.R.Balu के साथ मिलकर ये प्लान बनाया है, भगवान श्री राम की सबसे बड़ी निशानी श्री राम सेतु को तोड़ा जाए और उसका मलबा और कचरा अमेरिका को बेचा जाये ....

आप लोगो की जानकारी के लिए बता दू, ये मलबा या कचरा नही है, भारतीय वैज्ञानिको का कहना है की इस सेतु ( धनुष-कोटि ) के तल मे 7 तरह के रेडियो एक्टिव ए

लीमेंट है | जो पूरी दुनिया में सिर्फ़ भारत में ही मिले है। जिसे निकाल कर 150 साल तक बिजली और परमाणु बम्ब बनाये जा सकते है



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