Saturday 16 May 2015


एटम बम' बनाना कितना आसान?

नागासकी में 1945 में हुआ एटम बम विस्फोट

ऐलेक्स किर्बी

ब्रिटेन के कुछ शोधकर्ताओं का निष्कर्ष दिल दहला देने वाला है. उनका कहना है कि आतंकवादियों के लिए एटम बम बनाना बेहद आसान है.

उनका कहना है कि एटम बम बनाने के लिए रसायन विज्ञान का पारखी होना आवश्यक नहीं है बल्कि ऐसा नकली दवाइयाँ बनाने से भी आसान है.


परमाणु ईंधन ले जा रहा जहाज़
उनका मानना है कि स्कॉटलैंड के ऊपर 1988 में पैन ऐम विमान में जिस बम से विस्फोट से किया गया था वैसा बम बनाना कोई कठिन काम नहीं है.

यह दावे ऑक्सफ़र्ड शोध संगठन (ओआरजी) के एक पर्चे में किए गए हैं. पर्चे का शीर्षक है- मॉक्स ईंधन से कामचलाऊ परमाणु विस्फोटक बनाना.

मॉक्स ईंधन यूरेनियम और प्लूटोनियम ऑक्साइड का मिश्रण होता है.

इसमें कहा गया है कि तकनीकी रूप से अक्षम आतंकवादी संगठन रेडियोधर्मी बम (इन्हें डर्टी बम का नाम दिया गया है) ही नहीं, बल्कि एक वास्तविक परमाणु विस्फोटक तैयार कर सकता है.

पर्चे में कहा गया है कि एक आतंकवादी संगठन को अगर "मॉक्स ईंधन मिल जाए तो उससे वह प्लूटोनियम आसानी से निकाल सकता है और इससे परमाणु विस्फोटक बना सकता है."

आसान निर्देश

पर्चे के अनुसार 1988 में लॉकरबी विस्फोट और 1995 में टोक्यो में सबवे में इस्तेमाल किए गए विस्फोटक "तैयार करने के लिए वैज्ञानिक कुशलता और योजना की आवश्यकता थी."

"यह दिल दहलाने वाली बात है कि मॉक्स से प्लूटोनियम निकालकर कामचलाऊ परमाणु विस्फोटक तैयार करने के लिए अत्यधिक कुशलता आवश्यक नहीं है."

"इस ईंधन से प्लूटोनियम निकालना मुश्किल काम नहीं है."

"स्नातक में दूसरे वर्ष का छात्र इस बारे में मौजूदा सामग्री का अध्ययन कर और इंटरनेट पर खोज कर यह तकनीक सीख सकता है."

ओआरजी का कहना है कि इस बारे में प्रयोग करने के लिए ज़रूरी प्लूटोनियम उत्तर-पश्चिमी इंग्लैंड के रेवनग्लास खाड़ी में मौजूद मिट्टी से भी निकाला जा सकता है.

वहाँ पर नज़दीक के सेलाफ़ील्ड मॉक्स ईंधन परिष्करण संयंत्र से निकलने वाला कचरा जमा होता है.

पर्चे के अनुसार बम बनाने वालों के लिए ऐसा करना आसान होगा और उन पर कोई शक भी नहीं करेगा.

वे ऐसा करने के लिए "पर्यावरण रसायनशास्त्र की आड़" ले सकते हैं.

छोटा लेकिन ख़तरनाक

पर्चे के अनुसार प्लूटोनियम ऑक्साइड बम प्रभावकारी होगा लेकिन धातुई प्लूटोनियम से बनने वाला बम भयानक विस्फोट करेगा.

ऐसा बम सिर्फ़ दो या तीन लोग मिल कर बना सकते हैं.


ऑक्सफ़र्ड शोध संगठन
प्लूटोनियम, बेरेलियम के खोल और प्लास्टिक के डिब्बे में बंद इस बम की परिधि क़रीब 80 सेंटीमीटर होगी.

ओआरजी का कहना है: "इस तरह के कामचलाऊ बम से होने वाले परमाणु विस्फोट की गंभीरता बारे में अंदाज़ा लगाना मुश्किल है."

"लेकिन अगर यह कुछ टन टीएनटी का एक छोटा हिस्सा भी हुआ तो इससे किसी भी बड़े शहर के बीचों-बीच का हिस्सा उड़ाया जा सकता है."

टीएनटी (ट्राई नाइट्रो टाल्यून) एक विस्फोटक है और इसकी मात्रा के विस्फोट से एटम बम की विस्फोटक क्षमता मापी जाती है.

विनाशकारी प्रभाव

"ऐसा कोई भी बम सौ टन टीएनटी के बराबर क्षमता से विस्फोट कर सकता है. शायद 1000 टन भी हो सकता है लेकिन इसकी संभावना नहीं है."

सौ टन टीएनटी की क्षमता का विस्फोट "विनाशकारी" होगा.


सेलाफ़ील्ड मॉक्स ईंधन संयंत्र
इस विस्फोट के 600 मीटर के दायरे में आने वाला कोई भी व्यक्ति विस्फोट, गर्मी या फिर रेडियोधर्मिता से मर सकता है.

"ऐसे विस्फोट में सैंकड़ों लोग मारे जा सकते हैं और हज़ारों घायल हो सकते हैं."

"आपातकालीन सेवाओं के लिए राहत का काम बेहद मुश्किल होगा."

रिपोर्ट में कहा गया है: "चाहे ऐसे बम से प्रभावकारी परमाणु विस्फोट न भी हो फिर भी इससे रासायनिक विस्फोट होगा और प्लूटोनियम सब दूर फैल जाएगा."

प्रभावित शहर का बड़ा हिस्सा लंबे समय तक रहने लायक नहीं रहेगा.

ओआरजी का निष्कर्ष है कि आतंकवादियों के लिए एटम बम के लिए ज़रूरी सामग्री चुराने की "दिल दहला देने वाली संभावना है."

संगठन ने ब्रिटेन की सरकार से अपील की है वह सेलाफ़ील्ड संयंत्र में परिष्करण के काम पर तुरंत रोक लगाए.

इस हफ़्ते सेलाफ़ील्ड में जापान से दो जहाज़ मॉक्स ईंधन लेकर पहुँच रहे हैं.

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